वर्तमान संदर्भ में डा. बी.आर. अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता
कुमार, राकेश
सहायक प्रोफेसर राजनीति विज्ञान विभाग, जी. एम. एन. कॉलेज अंबाला कैंट
सार-संक्षेप
‘‘राष्ट्रवाद तभी औचित्य ग्रहण कर सकता है, जब लोगों के बीच जाति, नस्ल या रंग का अन्तर भुलाकर उनमें सामाजिक भ्रातृत्व को सर्वोच्च स्थान दिया जाए।’’ . डाॅ. बी.आर. अम्बेडकर
डाॅ. भीम राव अंबेडकर बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे। वह एक विद्वान, लेखक, क्रांतिकारी, संविधान निर्माता और परिवर्तन के अग्रदूत के रूप में जाने जाते है। उन्होंने अपने जीवन में छुआछूत और जाति प्रथा के बारे में बहुत संघर्ष किया, क्योंकि उन्हें छुआछूत और जाति के संदर्भ में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसलिए वह चाहते थे कि दलित समाज के लिए ऐसे सार्थक आयाम स्थापित किये जाए जिससे भविष्य में वे अपने जीवन में इस प्रकार के विकारों के शिकार न हो। इसलिए शिक्षा ही एकमात्र ऐसा साधन है, जिसके माध्यम से परिवर्तन को समाज में स्थापित किया जा सके। और यह परिवर्तन संविधान में ऐसे प्रावधान करने से होगा, जिसमें सभी को समान अवसर और सुविधाएँ प्राप्त हो। देश में लोकतंत्र की सफलता के लिए स्वच्छ समाज, भातृत्व एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण का होना अति आवश्यक है। भीमराव अम्बेडकर का सम्पूर्ण जीवन मानव समाज की सेवा में समर्पित रहा। उन्होंने शताब्दियों से भारत में चले आ रहे रूढ़िवादी का समूल नाश करने का प्रयास करते हुए, दलितों के एक बड़े वर्ग को संविधान में समानता का दर्जा प्रदान कराने का महान् कार्य किया, साथ ही परतंत्र भारत को स्वतंत्रता दिलाने के प्रयास स्वरूप लेखों व अपने महान विचारों द्वारा दलित वर्ग को संगठित करने का सफल कार्य भी पूर्ण किया। इसके साथ ही समाज उद्धारक तथा सामाजिक चेतना को जागृत करने तथा महिलाओं की स्थिति में सुधार करने के क्षेत्र में उनकी अहम् भूमिका रही। अम्बेडकर साहब ने अनेक ऐसे सृजनात्मक राजनीतिक आयाम स्थापित किये, जिससे समाज में एक नई चेतना का विकास हुआ। उनके आर्थिक विचार समाज में समानता स्थापित करने में मील का पत्थर साबित हुए। राष्ट्र निर्माण तथा राष्ट्रवाद के निर्माण में उनकी अहम भूमिका रही। उनके अनुसार एक आदर्श समाज तथा राष्ट्रीय एकता तभी स्थापित हो सकती, जब समाज में किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं रहेगा।
मुख्य शब्दः- परिवर्तन, अवसर, समानता, विचार, राष्ट्रवाद, समाज, संविधान।
Abstract
“Nationalism can be justified only when the differences of caste, race or color among the people are forgotten and social fraternity is given the highest place among them.” Dr. B.R. Ambedkar
Dr. Bhim Rao Ambedkar was a versatile personality. He is known as a scholar, writer, revolutionary, constitution maker and pioneer of change. He struggled a lot in his life regarding untouchability and caste system, because he had to face many challenges in the context of untouchability and caste. Therefore, he wanted that such meaningful dimensions should be established for the Dalit society so that they do not become victims of such disorders in their lives in future. Therefore, education is the only means through which change can be established in the society. And this change will happen by making such provisions in the Constitution, in which everyone gets equal opportunities and facilities. For the success of democracy in the country, it is very important to have a clean society, brotherhood and scientific approach. Bhimrao Ambedkar’s entire life was dedicated to the service of human society. While trying to completely destroy the orthodoxy that had been prevalent in India for centuries, he did the great work of providing equal status to a large section of Dalits in the Constitution, and also through his writings and his great writings, in an effort to bring freedom to the dependent India. Also completed the successful work of organizing the Dalit class through ideas. Along with this, she played an important role in the field of social savior and awakening social consciousness and improving the status of women.
Keywords: Change, opportunity, equality, ideas, nationalism, society, constitution.
प्रभाव कथन
डा. बी. आर अम्बेडकर एक महान चिन्तक, समाज सुधारक और झुझारू योद्धा होने के साथ–साथ एक अच्छे इतिहासकार, अर्थशास्त्री, लेखक और एक पारदर्शी व्यक्तित्व के धनी थे। उनका अपना जीवन संघर्ष से परिपूर्ण था। लेकिन उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष को मानव जाति को समर्पित किया। उनके संघर्ष ने समाज में अनेक सुधार स्थापित किये। उन्होंने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किये, जो आदर्श समाज की स्थापना में एक ‘मील का पत्थर’ साबित हुआ। वर्तमान पीढी उनके जीवन से संघर्ष, समानता व समावेश जैसे गंुण ग्रहण कर रही है। यह शोध लेख युवा वर्ग को डाॅ. अम्बेडकर के विचारों से अवगत करवाते हुए जीवन प्ररेणा देता हैं। डाॅ. अम्बेडकर ने भारतीय संविधान के निर्माण में प्रारूप समिति के अध्यक्ष पद पर आसीन होकर गरिमापूर्ण प्रावधान किये, जिसके तहत गरीब, अमीर, दलित, मजदूर और महिलाओं को कल्याणकारी अधिकार प्राप्त हुए। भारत रत्न बाबा साहेब अम्बेडकर वास्तविक अर्थों में समाज के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत एवं परिवर्तन के अग्रदूत माने जाते है।
About The Author
Dr Rakesh Kumar
Assistant Professor, Department of Political Science, GMN (P.G.) College , Ambala Cantt. (Haryana)
Educational Qualification
- Ph.D. Degree awarded on the topic entitled “Indo-Pak Relation (1996-2001)” from The Department of Political Science, Kurukshetra University, Kurukshetra dated 07-10-2008.
- U.G.C. – Net Qualified in June 2004 under Roll No. P330277, New Delhi.
- U.G.C. – Net Qualified in December 2003 under Roll No. V330305, New Delhi.
- HTET – Qualified in HBSE, Bhiwani in April, 2012 under Roll No.-3507529.
- M.A. (Political Science) from Kurukshetra University, Kurukshetra with Ist Division September 2000 under Roll No 63030.
- PGDJMC from Kurukshetra University Kurukshetra with IInd division June 2013 under Roll No 182958.
- B.Ed. from Kurukshetra University, Kurukshetra with Ist Division in November, 2012 under Roll No 347925.
- B.A. from Kurukshetra University, Kurukshetra with IInd Division in June 1998 under Roll No 072186.
- 10+2 from Haryana Board of School Education, Bhiwani with IInd Division June 1995 under Roll No 344954.
- Matric from Haryana Board of School Education, Bhiwani with IInd Division July 1993 under Roll No 835146.
Teaching Experience
- Presently working as Assistant Professor in the Department of Political Science at GMN (P.G.) College, Ambala Cantt. Haryana since 01/12/2017.
- Worked as Assistant Professor in the Department of Political Science at NBGSM College, Sohna (Gurugram) from 07-11-2013 to 30-11-2017.
- Worked as Research Scholar in the Department of Political Science Kurukshetra University, Kurukshetra from August 2001 to May 2005.
- Worked as Lecturer in the Department of Political Science at M. L. N. College, Yamuna Nagar UG/PG classes from 16-07-2005 to 15-03-2008.
- Worked as Lecturer in the Department of Political Science at D. A. V. College for Girls, Yamuna Nagar UG/PG classes from 06-08-2008 to 16-04-2009.
References
Brajkishore Sharma, Constitution of India-An Introduction, Prentice Hall of India, New Delhi, 2005.
Raju Raj, Baba Saheb Dr. Bhimrao Ambedkar, Tulsi Sahitya Publications, Meerut, 2013.
Kalpana Raja Ram, The Constitution of India and the Indian Political System, Spectrum Books, New Delhi, 2011.
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Lamiye, Champa, Women Power and Progress, BR Publishing Corporation, New Delhi, 1999.
“The National Policy for the Empowerment of Women”, 2001.
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