International Council for Education, Research and Training

शास्त्रीय संगीत में दूरस्थ शिक्षण प्रणाली की उपयोगिता एवं चुनौतियां
Usefulness and challenges of distance learning system in classical music


सिंह, भगत

सहायक प्रोफेसर, संगीत मान्यवर कांशीराम राजकीय महाविद्यालय गाजियाबाद

Singh, Bhagat

Assistant Professor, Music Honorable Kanshi Ram Government College Ghaziabad



सारांश

भारत में वैदिक काल से ही संगीत शिक्षा की एक महान परम्परा रही है। प्राचीन काल में गुरुकुल पद्धति से ही संगीत की शिक्षा दी जाती थी। कालांतर में मध्य युग में घराना अथवा सम्प्रदाय पद्धति अस्तित्व में आई। आज हम तक जो संगीत पहुंचा है वह मौखिक विद्या के रूप में प्रसारित होता रहा है। वर्तमान युग में प्रौद्योगिकी के विकास के साथ ही संगीत की शिक्षा में भी परिवर्तन हो रहा है। आज की बढ़ती जनसंख्या के कारण शिक्षा के क्षेत्र में प्रोद्यौगिकी के महत्व ने हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं में क्रांति ला दी है। संगीत जैसी गुरुमुखी कला के लिए आज के संसाधनों द्वारा सिखाया जा रहा है। देश के होनहार संगीत के विद्यार्थियों के लिए आज के युग में संगीत की शिक्षा दूरस्थ प्रणाली से सिखाना समय की आवश्यकता है। मोबाईल की क्रांति तथा इंटरनेट की सुलभता ने इसके लिए महत्वपूर्ण द्वार खोल दिये हैं। दूरस्थ प्रणाली शिक्षा की एक ऐसी पद्धति है जो भौगोलिक सीमाओं को पार करती है तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने में एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में अस्तित्व में है। प्रस्तुत शोध पत्र में संगीत शिक्षा के क्षेत्र में दूरस्थ शिक्षा की संभावनाओं का पता लगाना है, इसके लाभों, चुनौतियों और उन तरीकों पर प्रकाश डालना है जिनसे यह संगीत के विद्यार्थियों लिए लाभकारी हो सकता है। दूरस्थ शिक्षा में संगीत शिक्षा को लोकतांत्रिक बनाने, रचनात्मकता को बढ़ावा देने और एक लचीला शिक्षण वातावरण प्रदान करने की क्षमता है। इसके द्वारा आने वाली चुनौतियों का अध्ययन करने तथा इसके सफल कार्यान्वयन के लिए उपकरणों का अध्ययन करने की आवश्यकता है। संगीत में गायन, वादन तथा नृत्य तीनों का अन्तर्भाव है। ललित कलाओं के शिक्षण में भाव, सम्वेदनशीलता, आंगिक चेष्टाएं, स्वर की बारीकियाँ तथा वाद्य वादन में बोलों की निकासी आदि में गुरु का भौतिक रूप से उपस्थित होना जरूरी है। दूरस्थ शिक्षण में गुरु की उपस्थिति की समस्या भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, Zoom, youtube आदि टेक्नोलॉजी के कारण दूर हो गई है। भविष्य में संगीत में दूरस्थ शिक्षण एक आवश्यक तथा प्रभावशाली माध्यम होगा। कुछ दशकों पूर्व संगीत वाद्यों के रखरखाव तथा लाने ले जाने में बहुत असुविधा होती थी। आजकल संगीत में डिजीटल वाद्य उपलब्ध हैं जिनकी ध्वनि गुणवत्ता भी अच्छी है तथा अपने मोबाइल या लैपटॉप में हम इनका उपयोग कर सकते हैं। डिजीटल वाद्यों के लाने ले जाने में भी कोई दिक्कत नहीं होती है। Ishalla, Sur Sadhna, Lehara pro आदि साफ्टवेयर्स के रूप में अनेकों वादय प्ले स्टोर पर उपलब्ध हैं। 

मुख्य शब्द: दूरस्थ शिक्षण प्रणाली, गुरुशिष्य परम्परा, सूचना प्रौद्योगिकी, लर्निंग, वैश्विक साझीकरण, डिजिटल वाद्य। 


Usefulness and challenges of distance learning system in classical music

Singh, Bhagat

Assistant Professor, Music Honorable Kanshi Ram Government College Ghaziabad


Abstract


There has been a great tradition of music education in India since the Vedic period. In ancient times, music education was given only through the Gurukul system. Later, in the Middle Ages, the Gharana or Sampradaya system came into existence. The music that has reached us today has been transmitted in the form of oral tradition throughout generation to generation. In the present era, with the development of technology, music education is also changing. Due to today’s increasing population, the importance of technology in the field of education has revolutionized various aspects of our lives. Gurmukhi arts like music are being taught by today’s resources. In today’s era, teaching music through distance mode is the need of the hour for the promising music students of the country. The mobile revolution and the availability of the internet have opened important doors for this. Distance education system is a method of education that transcends geographical boundaries and exists as a powerful tool in providing quality education. The present paper aims to explore the potential of distance education in the field of music education, highlight its benefits, challenges and the ways in which it can be beneficial to music students and teachers. 

Distance learning has the potential to democratize music education, foster creativity, and provide a flexible learning environment. There is a need to study the challenges faced by it and tools for its successful implementation. The group of singing, playing and dancing is called music. In the teaching of fine arts, physical presence of the Guru is necessary in teaching emotions, sensitivity, body movements, nuances of voice and pronunciation of lyrics in musical playing etc. The problem of teacher’s presence in distance learning has also gone away due to technology like video conferencing, Zoom, YouTube etc. Distance learning in music will be an essential and effective medium in the future. A few decades ago, there was a lot of inconvenience in maintaining and transporting musical instruments. Nowadays, digital instruments are available in music whose sound quality is also good and we can use them in our mobile or laptop. There is no problem in bringing and carrying digital instruments. Many musical instruments are available on Play Store in the form of software like Ishalla, Sur Sadhna, Lehara pro etc. There has been a great tradition of music education in India since the Vedic period. In ancient times, music education was given only through the Gurukul system. Later, in the Middle Ages, the Gharana, or Sampradaya, system came into existence. The music that has reached us today has been transmitted in the form of oral tradition from generation to generation. In the present era, with the development of technology, music education is also changing. Due to today’s increasing population, the importance of technology in the field of education has revolutionized various aspects of our lives. Gurmukhi arts like music are being taught by today’s resources. In today’s era, teaching music through distance learning is the need of the hour for the promising music students and teachers of the country. The mobile revolution and the availability of the internet have opened important doors for this. The distance education system is a method of education that transcends geographical boundaries and exists as a powerful tool for providing quality education. The present paper aims to explore the potential of distance education in the field of music education and highlight its benefits, challenges, and ways in which it can be beneficial to music students and teachers. Distance learning has the potential to democratize music education, foster creativity, and provide a flexible learning environment. There is a need to study the challenges faced by it and the tools for its successful implementation.  In the teaching of fine arts, the physical presence of the Guru is necessary in teaching emotions, sensitivity, body movements, nuances of voice, pronunciation of lyrics in musical playing, etc. The problem of teachers’ presence in distance learning has also gone away due to technology like video conferencing, Zoom, YouTube, etc. Distance learning in music will be an essential and effective medium in the future. A few decades ago, there was a lot of inconvenience in maintaining and transporting musical instruments. Nowadays, digital instruments are available in music whose sound quality is also good, and we can use them on our mobile devices or laptops. There is no problem with bringing and carrying digital instruments. Many musical instruments are available on the Play Store in the form of software, like Ishalla, Sur Sadhna, Lehara Pro, etc.


Keywords: Distance Learning System, Guru -Shishya Parampara, Information Technology, E-learning, Global Sharing, Digital Instrumentals. 


Impact Statement

प्रस्तुत शोध पत्र दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से  शास्त्रीय संगीत के शिक्षण की संभावनाएं, वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता, प्रभावशीलता तथा चुनौतियों पर सूक्ष्म अध्ययन प्रस्तुत करता है। इसका उद्देश्य डिजिटल युग में महत्वाकांक्षी संगीतकारों, शिक्षकों और विद्यार्थियों को लाभ पहुंचाने की इसकी क्षमता का आकलन करना है। 

भौगोलिक सीमाओं की परवाह किए बिना दूरस्थ शिक्षा, प्रौद्योगिकी और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से संगीतकारों के लिए नए रास्तों का निर्माण करती है। इसका समावेशी दृष्टिकोण संगीत प्रशिक्षण  को लोकतांत्रिक बनाता है, विविधता को बढ़ावा देता है और उन व्यक्तियों को संगीत सीखने का अवसर प्रदान करता जो सांगीतिक अभिक्षमता से युक्त होने के बाद भी किन्हीं कारणों से संगीत शिक्षा से वंचित हो जाते हैं। 

 अध्ययन का उद्देश्य संगीत शिक्षण विधियों, पाठ्यक्रम डिजाइन और तकनीकी उपकरणों के व्यापक विश्लेषण के माध्यम से रणनीतियों की पहचान करना है जिससे शिक्षण प्रभावशाली हो। 

यह शिक्षण माध्यम सिर्फ विद्यार्थियों तक सीमित नहीं है। यह संगीत शिक्षकों और संस्थानों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण  है क्योंकि वे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर शिक्षण चुनौतियों का  सामना करते हैं। शास्त्रीय संगीत के संदर्भ में दूरस्थ शिक्षा प्रणाली एक नई संभावना है। इससे पूर्व यह कला मौखिक शिक्षण के द्वारा ही विकसित तथा प्रसारित होती रही है। गायन, वादन तथा नृत्य की शिक्षण तकनीकों को गुरु आमने सामने बैठकर ही सिखा सकता है। गुरु शिष्य परम्परा को डिजिटल माध्यम से अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है। आजकल कक्षा में 20-30 विद्यार्थियों को ही सिखाया जाता है जबकि संगीत शिक्षार्थियों का एक बड़ा वर्ग इस शिक्षण का हिस्सा नहीं बन पाता है। डिजिटल माध्यम से एक गुरु एक बड़े वर्ग को संगीत की बारिकियों से अवगत करा सकता है। 

इस शोध का उद्देश्य शिक्षा के दायरे तक सीमित नहीं हैं। शास्त्रीय संगीत में दूरस्थ शिक्षा को अपनाने से संगीत उद्योग में क्रांति लाने और वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक आदानप्रदान को बढ़ावा देने की क्षमता है। भौगोलिक सीमाओं को पार करने की क्षमता के साथ, यह दृष्टिकोण विविध पृष्ठभूमि के संगीतकारों, संगीतकारों और कलाकारों के बीच सहयोग को सक्षम बनाता है, अंतरसांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देता है और वैश्विक शास्त्रीय संगीत परिदृश्य को समृद्ध करता है। 


Impact Statement


The presented research paper presents a detailed study on the possibilities of teaching classical music through distance education, its relevance, effectiveness and challenges in the present time. The aim is to assess its potential to benefit aspiring musicians, teachers and students in the digital age. Distance learning creates new pathways for musicians through technology and online platforms, regardless of geographic boundaries. Its inclusive approach democratizes music training, promotes diversity and provides an opportunity to those individuals who, despite having musical aptitude, are otherwise deprived of music education. The aim of the study is to identify strategies to make teaching effective through a comprehensive analysis of music teaching methods, curriculum design and technological tools. This medium of instruction is not limited to students only. It is equally important for music teachers and institutions as they face teaching challenges on digital platforms. Distance education system is a new possibility in the context of classical music. Before this, this art had been developing and spreading only through oral teaching. The teacher can teach the teaching techniques of singing, playing and dancing only by sitting face to face. The Guru Shishya tradition can be made more effective through digital medium. Nowadays only 20-30 students are taught in a class whereas a large section of music learners are not able to become a part of this teaching. Through digital medium, a guru can make a large group aware of the nuances of music. The objective of this research is not limited to the scope of education. The adoption of distance learning in classical music has the potential to revolutionize the music industry and promote cultural exchange on a global scale. With the ability to transcend geographical boundaries, this approach enables collaboration between composers, musicians and performers from diverse backgrounds, promoting inter-cultural understanding and enriching the global classical music landscape.



About Author


Dr. Bhagat Singh passed BA, MA (Hindustani classical Music vocal) from University of Delhi, in 2003 and 2005. He received his M.Phil. and Ph.D. from the same University in 2007 and 2012. He is an Assistant Professor in the Faculty of Music, Manyavar Kanshiram Govt Degree College Ghaziabad. His thesis on M.Phil. was focused on the problems of music teaching among children. His Ph.D. dissertation focused on children’s all-round development through music education. His teaching experience is more than 15 years in the area of Hindustani Classical Music. He has published 20 research papers in national /International Peer Reviewed journals. He has won many prizes in Delhi Govt as Prashasti Ptra by Delhi Sanskrit Academy for best Sanskrit shlok composing, Jhandewalan, first prize for classical vocal in Delhi govt teachers by Delhi Govt, Dr Sarvepalli Radhakrishna Global Educator Award by ICERT. He has attended many conferences and workshops regarding his area. He has a deep interest in music and literature and making musical compositions. 



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